होलिका दहन कब है 2023
भारतवर्ष के अंदर त्योहारों को मनाना एक सुख शांति का अनुभव मिलता है। इसी को देखते हुए भारत में प्रत्येक समुदाय के लोग अपने त्योहारों को अपने अनुसार अच्छे से मनाते हैं। क्योंकि हर त्योहार को मनाने का एक अलग ही महत्व होता है। आज हम जिस त्यौहार की बात करने वाले है। उसे होलिका दहन कहते हैं। होलिका दहन क्या है? Holika Dahan Kab Hai 2023 होलिका दहन के दिन विधिपूर्वक पूजा कैसे करें? इससे संबंधित जानकारी आज हम अपने आर्टिकल में आपको देंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंतर जरूर पढ़ें और होलिका दहन से संबंधित जानकारी को प्राप्त करें
होलिका दहन क्या है?
दोस्तों होलिका दहन एक ऐसा पर्व है। जिस दिन एक बड़ी सी लकड़ी के गठे को जमीन में गाड़ कर उसके आसपास लकड़ियों को लगाकर उसे जलाया जाता है। उसे हम होलिका दहन के रूप में जानते हैं। प्राचीन काल से ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन के दिन बुराई के ऊपर सच्चाई की जीत हुई थी। जिस कारण होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन 2023 में कब है?
दोस्तों होलिका दहन वर्ष 2023 में फाल्गुन महीने की 7 तारीख के दिन मंगलवार को है। मंगलवार के दिन 6 बजकर 24 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त माना जाता है। यह शुभ मुहूर्त की अवधि काल 2 घंटे 27 मिनट तक रहेगी। इसी शुभ मुहूर्त के अंदर होलिका दहन करना शुभ माना जाता है।
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की तिथि
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की तिथि के बारे में हमने निचे विस्तार से बताया है।
- फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की तिथि 6 मार्च 2023 को शुरू हो जाएगी। जिसका समय सारणी 4 बज कर 17 मिनट रहेगा।
- फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की तिथि 7 मार्च 2023 को समाप्त हो जाएगी। जिसका समय सारणी 6 बजकर 9 मिनट रहेगा।
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे कि कहानी क्या है?
दोस्तों पुरानी ग्रंथों के अनुसार हिरण कश्यप नामक एक राजा था। जिसका प्रह्लाद नामक एक पुत्र था। प्रह्लाद जो भगवान श्री विष्णु का परम भक्त था। वह हर समय भगवान श्री विष्णु की भक्ति करता था। हिरण कश्यप को इस बात से बड़ी ही चीढ़ थी। कि उसका पुत्र उसका जाप ना करते हुए भगवान विष्णु जी का जाप करता है। इसी कारण से हिरण कश्यप अपने पुत्र को प्रताड़ित करने लगा और उसे मारने की योजना बनाने लगा। हिरण कश्यप ने एक दिन अपनी बहन होलिका से कहा कि तुम प्रह्लाद को खत्म कर दो। तब होलिका ने जलती हुई चिता पर जाकर बैठ गई और प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा लिया।
तब उस चिता में बैठे हुए होलिका की गोद में प्रह्लाद निरंतर भगवान विष्णु जी का जाप कर रहा था। जिस कारण से आग ने प्रह्लाद को ना छुते हुए होलिका को जला दिया। तब से लोगों के अंदर प्रह्लाद को भगवान विष्णु के भक्त में रूप में जाने जाने लगा और होलीका दहन की रीत मनाई जाने लगी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन होलीका नामक बुराई के ऊपर प्रह्लाद नामक अच्छाई ने जीत हासिल की थी। इसी कारण से होलीका दहन त्यौहार मनाया जाता है।
होलिका दहन की पूजा की विधि
होलिका दहन की पूजा करने का एक ही मकसद होता है कि इस दिन बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत हुई थी। इसलिए जो भी लोग सच्चे होते हैं। उनके अंदर से बुरे डर को बाहर निकालना ही होलिका दहन का मकसद होता है। इसकी विधि निम्नलिखित है। जिसे हम निचे विस्तार में बताएंगे।
- सबसे पहले लोगों को होलिका दहन के दिन कुछ लकड़ियों को कट्ठा कर लेना है।
- अब एक लकड़ी के गठे को जमीन के बीच में गाड कर उसके आसपास लकड़ियों के ढेर को गोलाकार शेप में रख देना है।
- अब इस लकड़ियों के ढेर पर 3 या 7 बार परिक्रमा करते हुए धागे को लपेटना है। फिर इसके ऊपर कुमकुम, हल्दी और फूल इत्यादि से पूजा अर्चना करनी है।
- पूजा अर्चना पूरी होने के बाद शाम के समय इन लकड़ियों के गठे को आग लगा देनी है। इस तरह आप होलिका दहन का त्यौहार बड़े ही चाव से मना सकते हो।
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निष्कर्ष : Holika Dahan Kab Hai 2023
अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से आप सभी लोगों को Holika Dahan Kab Hai 2023 के बारे में विस्तारपूर्वक से जानकारी प्रदान की है और हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई इस विषय पर यह जानकारी आप लोगों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी और सहायक जरूर साबित हुई होगी। यदि जानकारी पसंद आई है तो आप इसे सोशल मीडिया पर और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले।